भारतीय स्पेस एजेंसी (इसरो) नें आज एक बार फिर इतिहास रच दिया है। आज सुबह 9.28 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से 14 सैटेलाइट एक साथ अंतरिक्ष में भेजे हैं। इन सैटेलाइट में सबसे महत्वपूर्ण है कार्टोसैट-3, जो कि एक सैन्य जासूसी उपग्रह है। इसके साथ अमेरिका के 13 नैनो सैटेलाइट भी लॉंन्च किए गए हैं। ये सभी सैटेलाइट 27 मिनट के अंदर अपनी कक्षा में स्थापित कर दिए गए। इन सैटेलाइट्स को पीएसएलवी सी-47 से भेजा गया है। यह पीएसएलवी-सी47 की 49वीं उड़ान हैैै।
कार्टोसैट-3 सैटेलाइट के ज़रिये सरहदों की निगरानी की जाएगी। ये तीसरी पीढ़ी का उपग्रह है जिसमें हाई रेजोल्यूशन इमेजिंग कैपेसिटी है। ये पृथ्वी से 509 किलोमीचर ऊंची कक्षा में रहेगा और वहीं से भारत की सीमाओं की निगरानी करेगा। कार्टोसैट उपग्रह से किसी भी मौसम में धरती की तस्वीरें ली जा सकती हैं। इसके जरिए आसमान से दिन और रात दोनों समय जमीन से एक फीट की ऊंचाई तक की साफ तस्वीरें ली जा सकती हैं। रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है. अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआई-1 सैटेलाइट 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है।
काटोर्सैट-3 का वजन 1625 किलोग्राम है जिसे 13 अन्य नैनो उपग्रहों के साथ ध्रुवीय सौर भूस्थैतिक कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा। 44.4 मीटर ऊंचे पीएसएलवी-सी47 प्रक्षेपण यान का यह 49वां मिशन है। यह उपग्रह काटोर्सैट श्रृंखला का नौंवा उपग्रह है। इसरो का इस वर्ष यह पांचवां प्रक्षेपण अभियान है।
गौरतलब है कि इसरो ने इसी वर्ष 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था जो करीब-करीब 100 प्रतिशत सफल रहा था। इसरो ने एक बयान जारी कर बताया कि प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद भू-सवेर्क्षण उपग्रह काटोर्सैट-3 प्रक्षेपण यान से अलग होगा और अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित हो जाएगा।
तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह
-'कार्टोसैट-3' तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह है। यह धरती की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने के साथ-साथ उसका मानचित्र तैयार करने की क्षमता रखता है।
-'कार्टोसैट-3' तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह है। यह धरती की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने के साथ-साथ उसका मानचित्र तैयार करने की क्षमता रखता है।
'पीएसएलवी-सी47' से भरेगा उड़ान
-इसरो 'कार्टोसैट-3' सहित 13 अमेरिकी नैनो उपग्रहों की लॉन्चिंग के लिए 'पीएसएलवी-सी47' रॉकेट का सहारा लेगा। यह अंतरिक्ष में 'पीएसएलवी-सी47' की 49वीं उड़ान होगी।
-इसरो 'कार्टोसैट-3' सहित 13 अमेरिकी नैनो उपग्रहों की लॉन्चिंग के लिए 'पीएसएलवी-सी47' रॉकेट का सहारा लेगा। यह अंतरिक्ष में 'पीएसएलवी-सी47' की 49वीं उड़ान होगी।
क्या होगा फायदा
-शहरों के नियोजन, ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास, संसाधनों की आपूर्ति, तटीय भूमि के बेहतर उपयोग और हरियाली के आकलन के साथ-साथ मौसमी बदलावों का अंदाजा लगाने व सैन्य निगरानी में मददगार साबित होगा।
-शहरों के नियोजन, ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास, संसाधनों की आपूर्ति, तटीय भूमि के बेहतर उपयोग और हरियाली के आकलन के साथ-साथ मौसमी बदलावों का अंदाजा लगाने व सैन्य निगरानी में मददगार साबित होगा।
खासियत
-1625 किलोग्राम है 'कार्टोसैट-3' का वजन
-9वां सैटेलाइट है यह 'कार्टोसैट' शृंखला का
-5 साल के आसपास होगा इसका जीवनकाल
-510 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में रहेगा तैनात
-74वां प्रक्षेपण मिशन होगा यह इसरो का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से
-1625 किलोग्राम है 'कार्टोसैट-3' का वजन
-9वां सैटेलाइट है यह 'कार्टोसैट' शृंखला का
-5 साल के आसपास होगा इसका जीवनकाल
-510 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में रहेगा तैनात
-74वां प्रक्षेपण मिशन होगा यह इसरो का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से
खूबी
-25 सेंटीमीटर रेजोल्यूशन की भव्य तस्वीरें खींचने में सक्षम कैमरे से लैस
-अडैप्टिव ऑप्टिक्स तकनीक की मौजूदगी फोटो को धुंधली होने से रोकेगी.
-25 सेंटीमीटर रेजोल्यूशन की भव्य तस्वीरें खींचने में सक्षम कैमरे से लैस
-अडैप्टिव ऑप्टिक्स तकनीक की मौजूदगी फोटो को धुंधली होने से रोकेगी.
26 घंटे पहले शुरू हुआ था काउंटडाउन
उपग्रह के लिए इसरो ने मंगलवार सुबह 7:28 बजे उल्टी गिनती (काउंटडाउन) शुरू किया था। कार्टोसेट अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट ऐसी सैटेलाइट है जिससे पृथ्वी की साफ तस्वीर ली जा सकती है। इसकी तस्वीर इतनी साफ होगी कि किसी व्यक्ति के हाथ में बंधी घड़ी के समय को भी स्पष्ट देखा जा सकेगा। मुख्य रूप से इसका काम अंतरिक्ष से भारत की जमीन पर नजर रखना है।
उपग्रह के लिए इसरो ने मंगलवार सुबह 7:28 बजे उल्टी गिनती (काउंटडाउन) शुरू किया था। कार्टोसेट अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट ऐसी सैटेलाइट है जिससे पृथ्वी की साफ तस्वीर ली जा सकती है। इसकी तस्वीर इतनी साफ होगी कि किसी व्यक्ति के हाथ में बंधी घड़ी के समय को भी स्पष्ट देखा जा सकेगा। मुख्य रूप से इसका काम अंतरिक्ष से भारत की जमीन पर नजर रखना है।
पहले भी भेज चुके सर्विलांस सैटेलाइट
इसरो अप्रैल और मई में 2 सर्विलांस सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है। 22 मई को सर्विलांस सैटेलाइट रीसैट-2 बी और एक अप्रैल को ईएमआईसैट लॉन्च किया गया था। दोनों का मुख्य काम दुश्मनों की रडार पर नजर रखना है। सैटेलाइट के साथ इसरो भारत की रणनीतिक तैयारियों में अभूतपूर्व योगदान देगा।
इसरो अप्रैल और मई में 2 सर्विलांस सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है। 22 मई को सर्विलांस सैटेलाइट रीसैट-2 बी और एक अप्रैल को ईएमआईसैट लॉन्च किया गया था। दोनों का मुख्य काम दुश्मनों की रडार पर नजर रखना है। सैटेलाइट के साथ इसरो भारत की रणनीतिक तैयारियों में अभूतपूर्व योगदान देगा।
एक टिप्पणी भेजें