आस्था के नाम पर अंधविश्वास का दुकान : काली कंबल वाले बाबा का काला जादू

मोतिहारी। यह आस्था है या आस्था के नाम पर अंधविश्वास का दुकान , इसे समझ पाना मुश्किल है, लेकिन काला कंबल ओढ़े एक बाबा सैकड़ों लोगो को कंबल ओढ़ा कर लकवा, लंगड़ा, लुला, गूंगा लोगो को बदन से हटाकर काला कंबल ओढ़ाता है और वह दावा करता है कि जो दवा से ठीक नही हो सकता वह कंबल ओढ़ा देने मात्र से ही पूरी तरह से फिट हो जायेगा, लेकिन हकीकत में जो हो रहा उसे जानकर आप कहेंगे की यह तो आस्था के नाम पर ढकोसला है। 

दरअसल पूर्वी चंपारण के चकिया चीनी मैदान में राजस्थान के कंबल वाले बाबा का कार्यक्रम चल रहा है, बाबा के शिविर में सैकड़ों लोग रोज अलग अलग जगह से इस उम्मीद से आ रहे की बाबा के शिविर के जाने से उनका कष्ट खत्म हो जायेगा, लेकिन सामने से कह हमारे सहयोगी के इसे करीब से देखा तो बाबा के कंबल ओढ़ा देने के बावजूद किसी के हालात के कोई सुधार नहीं हो रहा है।

बाबा के साथ के कई लोग जिसे बाबा कंबल ओढ़ा कर ठीक करने का दावा कर रहे हैं, उसे खींचते हुए ये दिखाने की कोशिश की जा रही है की बाबा के चमत्कारी कंबल के प्रभाव से मरीज ठीक हो गया, एक यूट्यूब चैनल को दिए गए इंटरव्यू में बाबा के द्वारा ये कहा जाता है की पैसा कमाना उनका लक्ष्य नही है, लेकिन चढ़ावे के रूप में पैसा लिए जा रहे है। स्थानीय एक रिपोर्टर ने जब चढ़ावे के रुपए की वीडियो बनाने की कोशिश की तो उसे बाबा का करीबी लोगों के द्वारा रोकने का प्रयास किया गया।

कंबल वाले बाबा का DNA Test 

कंबल वाले बाबा के अंधविश्वास का खेल नेशनल न्यूज चैनल जी न्यूज ने अपने स्पेशल शो डीएनए टेस्ट में उजागर किया है, एबीपी न्यूज ने अपने स्पेशल रिपोर्ट में ये दावा किया है की कंबल वाले बाबा ईलाज के नाम पर पैसे लूट रहे है, आस्था के नाम पर अंधविश्वास का दुकान चलाने वाले बाबा को न्यूज़ 18 ने भी LIVE EXpose किया था।

खाना, पार्किंग सबके पैसे 

बाबा के दिव्य शिविर में प्रत्येक दिन हजारों लोग पहुंच रहे हैं, बाबा का ये कहना है की 5 दिन लगातार इलाज करवाने के बाद लकवा, लंगड़ा, गूंगा जैसे बीमारियों के मरीज पूर्णतः ठीक हो जाएंगे, ऐसे में शिविर स्थल पर खाने की भी व्यवस्था है, गाड़ियों के पार्किंग की भी व्यवस्था है। ऐसे में वहां मौजूद एक व्यक्ति ने नाम नही छापने के सर्त पर बताया कि ये सारे रुपए बाबा को दिया जाता है, एक तरह से देखा जाए तो यहां पैसे वसूलने का अलग - अलग अंदाज में वसूली का खेल चलता है।

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