नए कुलपति के नाम को लेकर नही थम रहा विवाद, अब प्रोफेसर तेजप्रताप का भी विरोध


पटना : बिहार के दूसरे केन्द्रीय विश्वविद्यालय महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के तीसरे कुलपति की नियुक्ति से पहले ही कुलपति के लिए प्रस्तावित नामो पर विवाद थमने का नाम नही ले रहा है। पहले और दूसरे कुलपतियों के विवादित कार्यकाल से केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्र और शहर का बुद्धिजीवी वर्ग खासा नाराज है।

अरविंद अग्रवाल ( फाइल फोटो)

ज्ञात हो कि पहले कुलपति प्रोफेसर अरविंद अग्रवाल के कार्यकाल में विवाद इतना बढ़ गया था कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उनको हटाने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में धरना पर बैठ गए थे। बाद में प्रोफेसर अग्रवाल को लम्बी छुट्टी पर भेजी गई फिर उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया। दूसरे कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा का कार्यकाल भी विवादित रहा, आरोप है कि प्रोफेसर शर्मा की नियुक्ति में कुलपति बनने के मानकों को दरकिनार कर फर्जीवाड़े के तहत उनकी नियुक्ति की गई है। इस मामले की जांच भी अभी प्रक्रियाधीन है।

प्रोफेसर संजीव शर्मा (फाइल फोटो)

ऐसे में विश्वविद्यालय के छात्र और शहर के बुद्धिजीवी वर्ग के लोगो का कहना है कि कुलपतियों के विवादित कार्यकाल से इस नवस्थापित केन्द्रीय विश्वविद्यालय की आकादमिक जगत में खूब किड़कीड़ी हुई है जिससे न सिर्फ केन्द्रीय विश्वविद्यालय वरन हमारे शहर की भी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है।


कुलपति के नाम को लेकर मोतिहारी से दिल्ली तक गहमागहमी तेज है। खबर है कि इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के लिए सेलेक्शन कमेटी को 05 नाम भेजे गए है जिसमें प्रयागराज के प्रोफेसर बद्रीनायरण और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तेजप्रताप सिंह का नाम कुलपति की रेस में बार बार उछल रहा है लेकिन ये नाम विश्वविद्यालय के छात्रो और शहर के लोगो को रास नही आ रहा और लोग सोशल मीडिया पर इनके विरोध में खूब लिख रहे हैं।

तेजप्रताप सिंह का रिसर्च प्रोजेक्ट

पूर्वी चम्पारण जिले में लंबे समय से सक्रिय छात्र संगठन चम्पारण छात्र संघ ने तो इनके खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन करने तक कि धमकी भी दे डाली है। छात्रों का आरोप है कि तेजप्रताप सिंह की आस्था नक्सलियों के प्रति खूब है यह जानकारी उनके शोध प्रोजेक्ट से मिलती है जो छत्तीसगढ़ के माओवादीयो पर किया गया है जिसमे तेजप्रताप सिंह ने नक्सल गतिविधियों के लिए कई जगह आन्दोलन औऱ विद्रोह जैसे शब्द लिखे हैं। छात्रसंघ संयोजक विकाश कहते हैं कि हमे उनके शोध प्रोजेक्ट से कोई लेना देना नही है लेकिन उसमें बार बार जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है उससे हमें उनकी मानसिकता पर संदेह है शायद ऐसे लोगो को इस विश्वविद्यालय में लाकर इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय को जेएनयू बनाने की साजिश हो ऐसे में हमे इस मानसिकता के लोगो को इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नही स्वीकारेंगे। पहले ही इस विश्वविद्यालय के कुलपतियों के विवाद के कारण इस विश्वविद्यालय की काफी किड़कीड़ी हुई है अब इस विश्वविद्यालय का सृजनात्मक सिंचन बेहद जरूरी है। इसलिए इस विश्वविद्यालय को अब किसी योग्य प्रशासक, अकादमिक अनुभव से परिपूर्ण, दूरदर्शी एवं भारतीय संस्कृति व संविधान में आस्था रखने वाले, विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास एवं उत्तम शैक्षिक वातावरण के निर्माण के लिए दृढ़ संकल्पित कर्मयोगी कुलपति की आवश्यकता है।

बद्रीनायरण ( फाइल फोटो)

ज्ञात हो कि हाल ही में इसके पहले कुलपति के लिए प्रोफेसर बद्रीनायरण का नाम उछलने पर स्थानीय लोगो ने उनकी विवादित पुस्तक 'हिन्दुत्व की मोहिनी मन्त्र' को लेकर उनका भी खूब विरोध किया था जिसके बाद खबर है कि प्रोफेसर बद्रीनायरण का नाम कुलपति की सूची से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। चम्पारण छात्र संघ से जुड़े केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि हम राष्ट्रपति महोदय को पत्र लिख रहे हैं जिसमे हम महामहिम को इन दोनों के विचारों से अवगत कराएंगे इनके विवादों की शिकायत करेंगे और सम्बंधित साक्ष्य भी प्रस्तुत करेंगे साथ ही राष्ट्रपति महोदय से निवेदन भी करेंगे कि वे हमारे विश्वविद्यालय में किसी योग्य प्रशासक को भेजें जो अकादमिक अनुभव से परिपूर्ण हो ताकि विवादों से दूर हमारे विश्वविद्यालय के समुचित विकास हो और भविष्य में हमारा विश्वविद्यालय भी NIRF की रैंकिंग में शीर्ष स्थान प्राप्त कर हम सबों को गौरवान्वित करे।

अब देखना दिलचस्प होगा कि महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में अगले कुलपति के रूप में कौन आते हैं और इस विश्वविद्यालय के सृजनात्मक सिंचन में अपना कितना योगदान दे पाते हैं। हालांकि टुडे बिहार न्यूज़ यह पुष्टि नही करता है कि इनदोनो में से किसी प्रोफेसर का नाम कुलपति के लिए तय हो गया है।

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