लापरवाही की हदें पार, बिहार में नसबंदी के लिए लाई गई 5 महीने की गर्भवती महिला, फिर हुआ ये...

समस्तीपुर.
अक्सर अपनी बदहाली को लेकर बिहार का स्वास्थ्य महकमा लगातार चर्चा में बना रहता है. इसमें बड़े-बड़े सुधार के दावे भी समय-समय पर सरकारी बाबू और मंत्रियों के द्वारा किया जाता रहा है. बावजूद इसके एक बार फिर बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल समस्तीपुर में खुली है. यहां लापरवाही की सारी हदें पार कर दी गईं. बिहार के समस्तीपुर में एक 5 माह के गर्भवती महिला की नसबंदी की जा रही थी. समस्तीपुर के विभूतिपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक अभियान के तहत बड़े पैमाने पर नसबंदी की जानी थी. इसको लेकर बड़ी संख्या में महिलाएं जुटी थीं.

इनमें एक ऐसी महिला थी जो 5 महीने की गर्भवती थी, लेकिन उसे भी परिवार नियोजन का ऑपरेशन करवाने के लिए स्वास्थ्य केंद्र ले आया गया. उनका मेडिकल चेकअप भी नहीं किया गया. गर्भवती महिला को ऑपरेशन के लिए बेहोशी का इंजेक्‍शन तक दे दिया गया था. डॉक्टर के पहुंचने पर ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई, लेकिन ऑपरेशन के लिए बेड पर लेटी महिला की स्थिति को डॉक्टर ने भाप लिया और फिर सर्जरी रोक दी. आनन-फानन में उन्‍हें ऑपरेशन थिएटर से तो बाहर कर दिया गया. 5 महीने की गर्भवती महिला को फर्श पर बेहोशी की हालत में ही परिजनों के हवाले कर दिया गया.

5 महीने की गर्भवती महिला की पहचान विभूतिपुर प्रखंड के सुरौली वार्ड 3 निवासी बबीता देवी के तौर पर की गई. उनको अस्पताल में कार्यरत आशा वर्कर द्वारा परिवार नियोजन के लिए ऑपरेशन के लिए लाया गया था. इस मामले के सामने आने के बाद डॉक्टर भी गायब हो गए. अब प्रश्न यह उठता है कि बिना जांच कराए या बिना रिपोर्ट देखे महिला को ऑपरेशन रूम में कैसे ले जाया गया और बेहोशी का सुई कैसे दी गई? विभूतिपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा यह बहुत बड़ी लापरवाही थी. दूसरी तरफ परिवार नियोजन के ऑपरेशन कराने के लिए आई पेशेंट और उनके परिजनों का भी हाल कुछ ऐसा ही था. बड़े पैमाने पर तो अस्पताल में परिवार नियोजन का ऑपरेशन करने की तैयारी कर ली गई, लेकिन उसके लिए बेड की व्यवस्था पर्याप्त नहीं की गई.

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