बिहार के बाहर से लाए जा रहे मजदूरों से ट्रेन का किराया वसूले जाने पर नीतीश सरकार निरंकुश इंसानियत को किया शर्मसार:शाहीन



अमरदीप नारायण प्रसाद

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार नैतिकता और कर्तव्यपरायणता की सारी मर्यादा भूल चुकी है। नीतीश कुमार केवल एक हजार रुपया देने का ढिंढोरा पीट रहे हैं। राजद के प्रांतीय प्रवक्ता ने कहा कि 2008 में जब कोसी नदी ने अपनी सीमाएं लांघ भयंकर तबाही मचा लाखों लोगों का जीवन प्रभावित किया था।
तब तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद जी ने फ़्री में ट्रेन चलाई थी। बिहार के मात्र 4-5 ज़िलों के लिए ही  1000 करोड़ का पैकेज़ दिलाया। रेलवे से बिहार के मुख्यमंत्री राहत कोष में 90 करोड़ दिलाया। स्वयं 1 करोड़ रू दिया। मुख्यमंत्री तब भी नीतीश कुमार जी थे और अब भी। श्री शाहीन ने कहा कि लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकार का ग़रीब विरोधी चेहरा देखिए। दोनों जगह डबल इंजन सरकार है लेकिन कोई भी ग़रीब मज़दूरों का किराया वहन करने के लिए तैयार नहीं है। ग़रीब बिहारियों को वापस लाने में शुरू से संसाधनों की कमी का रोना रो रही सरकार अब एक और बहाना खोज रही है। श्रमिकों की दयनीय स्थिति है लोग भुखमरी के शिकार हो रहे है।उन्होनें कहा कि सरकार एक तरफ़ 1000 रुपया देने का ढिंढोरा पीट रही है और दूसरी तरफ़ राज्य सरकार के पास ग़रीबों का किराया देने का पैसा नहीं है।

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