नागरिकता संशोधन बिल पर प्रशांत किशोर ने अपनी ही पार्टी को क्यों याद दिलाया 2015 का चुनाव

DESK: नागरिकता संशोधन बिल को समर्थन देने के बाद से ही जनता दल यूनाइटेड (JDU) में चल रहा भीतर का विवाद धमने का नाम नहीं ले रहा है. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने एक बार फिर इसका विरोध किया है.
प्रशांत किशोर ने कहा कि जेडीयू नेतृत्व को उन लोगों के बारे में विचार करना चाहिए जिन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में उनमें आस्था और विश्वास दिखाया था.

किशोर ने कहा, “नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने से पहले जदयू नेतृत्व को उनलोगों के बारे में भी सोचना चाहिए जिन्होंने 2015 में उनपर भरोसा और विश्वास जताया था. हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि 2015 की जीत के लिए पार्टी और इसके प्रबंधकों के पास जीत के बहुत रास्ते नहीं बचे थे.”
While supporting , the JDU leadership should spare a moment for all those who reposed their faith and trust in it in 2015.

We must not forget that but for the victory of 2015, the party and its managers wouldn’t have been left with much to cut any deal with anyone.
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हालांकि पार्टी के इसे उनकी व्यक्तिगत राय बता कर इस विवाद से बचने की कोशिश की है. नीतीश कैबिनेट में मंत्री संजय झा ने कहा, पार्टी की आधिकारिक लाइन स्पष्ट है और यह संसद के जारी सत्र में सभी के लिए है. एक या दो नेता व्यक्तिगत राय व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन इस तरह के मामलों को इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर विभाजन के रूप में नहीं माना जाना चाहिए.
वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि इस बारे में हमलोग जानकारी लेगें. नीतीश कुमार के व्यक्तित्व और नेतृत्व पर कोई सवाल सवाल नहीं है. कई दलों में लोग अलग-अलग राय रखते हैं, लेकिन अगर हर मुद्दे पर अलग राय रहेगा तो पार्टी सोचेगी.

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