
जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से नाता तोड़ा, हम का जदयू में विलय से इनकार
डेस्क : हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सुप्रीमो (हम) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है। हम की कोर कमेटी की बैठक के बाद मांझी ने महागठबंधन से अलग होने का एलान किया। ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि अब वे एनडीए में शामिल हो सकते हैं। दरअसल, मांझी काफी दिनों से महागठबंधन से नाराज चल रहे थे।
उन्होंने कहा भी था कि 20 अगस्त को पार्टी की कोर कमेटी की बैठक के बाद वे कोई फैसला लेंगे। निर्धारित तिथि को मांझी ने कोर कमेटी की बैठक की और पार्टी के वरीय नेताओं से विचार-विमर्श के बाद उन्होंने महागठबंधन को बाय-बाय करने का फैसला ले लिया। अब वे एनडीए में शामिल हो सकते हैं।
बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसको लेकर पाला बदलने का खेल भी तेज हो गया है। ऐसे में सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुटी हुई हैं। इससे पहले मांझी ने कहा भी था कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। कौन कब कहां किस पार्टी में जाएगा यह कहा नहीं जा सकता है, खासकर चुनाव के समय।
और मांझी ने खुद भी इसपर अमल किया। उन्होंने महागठबंधन से ही नाता तोड़ लिया। हालांकि कहा कि जदयू में उनकी पार्टी का विलय का दूर-दूर तक सवाल नहीं है, लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे एनडीए का हिस्सा हो सकते हैं।
हम की कोर कमेटी की बैठक खत्म होने के बाद ही मांझी ने महागठबंधन का हिस्सा नहीं होने एलान किया और कहा कि बहुत आरजू-मिन्नत कर ली, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। राहुल गांधी और उपेंद्र कुशवाहा के कहने के बावजूद कॉर्डिनेशन कमेटी नहीं बनी, पता नहीं किसके प्रेशर में क्या निर्णय ले रहे है तेजस्वी यह पता नहीं चल रहा है। उन्होंन कहा कि जिस गठबंधन में लोकतांत्रिक मूल्यों का महत्व नहीं वहां रहने का कोई फायदा नहीं है।
उन्होंने कहा भी था कि 20 अगस्त को पार्टी की कोर कमेटी की बैठक के बाद वे कोई फैसला लेंगे। निर्धारित तिथि को मांझी ने कोर कमेटी की बैठक की और पार्टी के वरीय नेताओं से विचार-विमर्श के बाद उन्होंने महागठबंधन को बाय-बाय करने का फैसला ले लिया। अब वे एनडीए में शामिल हो सकते हैं।
बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसको लेकर पाला बदलने का खेल भी तेज हो गया है। ऐसे में सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुटी हुई हैं। इससे पहले मांझी ने कहा भी था कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। कौन कब कहां किस पार्टी में जाएगा यह कहा नहीं जा सकता है, खासकर चुनाव के समय।
और मांझी ने खुद भी इसपर अमल किया। उन्होंने महागठबंधन से ही नाता तोड़ लिया। हालांकि कहा कि जदयू में उनकी पार्टी का विलय का दूर-दूर तक सवाल नहीं है, लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे एनडीए का हिस्सा हो सकते हैं।
हम की कोर कमेटी की बैठक खत्म होने के बाद ही मांझी ने महागठबंधन का हिस्सा नहीं होने एलान किया और कहा कि बहुत आरजू-मिन्नत कर ली, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। राहुल गांधी और उपेंद्र कुशवाहा के कहने के बावजूद कॉर्डिनेशन कमेटी नहीं बनी, पता नहीं किसके प्रेशर में क्या निर्णय ले रहे है तेजस्वी यह पता नहीं चल रहा है। उन्होंन कहा कि जिस गठबंधन में लोकतांत्रिक मूल्यों का महत्व नहीं वहां रहने का कोई फायदा नहीं है।
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