Citizenship Amendment Act Protest: बंद के पहले पप्पू नजरबंद, RJD व वाम दलों को कांग्रेस का समर्थन

पटना । नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सियासत गर्म होती जा रही है। इस सिलसिले में महागठबंधन के घटक दलों, वाम दलों व जन अधिकार पार्टी (जेएपी) ने अलग-अलग दिन बिहार बंद की घोषणा की है। आंदोलन की शुरुआत 19 दिसंबर को जन अधिकार पार्टी व वाम दलों के बंद के साथ हो रही है। लेकिन इसके पहले का जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो पप्‍पू यादव को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया है। उधर, कांग्रेस ने वाम दलों व राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बंद को समर्थन दिया है।
अपने घर में नजरबंद किए गए पप्‍पू यादव
जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव को उनके पटना के मंदिरी स्थित आवास पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 के तहत नजरबंद कर दिया गया है। यह कार्रवाई पटना के जिलाधिकारी के आदेश पर की गई है।
इससे पहले पूर्वाह्न 11 बजे उनके घर पर सुरक्षा कारणों से पुलिस बल को तैनात किया गया। फिर, कोतवाली थाने की पुलिस पदाधिकारी और दंडाधिकारी ने पप्पू यादव को नजर बंद किए जाने की सूचना दी।
विदित हो कि पप्पू यादव ने सीएए, एनआरसी और दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ 19 दिसंबर को बिहार बंद का एलान किया है। इसके पहले प्रशासन ने यह कार्रवाई की है।
नजरबंदी के बावजूद बंद की सफलता का दावा
नजरबंद किए जाने के बाद पप्पू यादव ने कहा कि उनके बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। कहा कि भले ही उन्हें जेल में डाल दिया जाए, लेकिन वे अन्याय और जुल्म के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। उन्होंने दावा किया कि उनकी नजरबंदी के बाद भी 19 दिसंबर का प्रस्तावित बिहार बंद सफल रहेगा।
कांग्रेस ने दिया वाम दलों व आरजेडी के बंद को समर्थन
उधर, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि सीएए के विरोध में वाम दलों के 19 दिसंबर और आरजेडी के 21 दिसंबर को आयोजित बिहार बंद को कांग्रेस का पूर्ण समर्थन रहेगा। उन्होंने कहा कि दोनों ही दिन कांग्रेस कार्यकर्ता बंद को सफल बनाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे। कहा कि केंद्र एवं राज्य की सरकारों में बैठी तानाशाही ताकतों तक अपनी आवाज  पहुंचाने के लिए विपक्षी दलों को आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है। दोनों ही दिन बिहार बंद सफल रहेगा।
कांग्रेस बोली: सीएए और एनआरसी संविधान के खिलाफ
राजेश राठौड़ ने कहा कि सीएए और एनआरसी संविधान के खिलाफ हैं। देश की लगभग सभी विश्वविद्यालयों में इनका विरोध करने वालों छात्रों पर लाठियां बरसाई जा रहीं हैं। केंद्र सरकार के असंवैधानिक कदम की वजह से देश में गृह युद्ध जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। देश का हाल ऐसा हो गया है कि संविधान तथा न्याय पर विश्वास रखने वाले सभी राजनीतिक-गैरराजनीतिक संगठन सरकार के विरूद्ध सड़क पर उतर आए हैं।

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