कुलपति संजीव शर्मा से केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी को मुक्त करने हेतु केंद्रीय शिक्षा मंत्री से गुहार


महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी में कभी भी स्थायी माहौल नही रहता। विश्वविद्यालय में परिस्थितियां सदैव विषम बनी रहती हैं। इस बार विश्वविद्यालय के संवाहक एवं छात्रों के पोषक वहाँ के शिक्षकों ने देश के शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान से अति विवादित कुलपति संजीव शर्मा को हटाने की गुहार लगाई है।

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने माननीय शिक्षामंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान  और माननीय राष्ट्रपति  से अनुरोध किया है कि जल्द से जल्द  किसी योग्य व्यक्ति की नियुक्ति इस विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में की जाए। संघ ने कहा है कि हमारे विश्वविद्यालय के दागी कुलपतियों के इतिहास को देखते हुए यह और भी जरूरी हो जाता है कि किसी बेदाग़ छवि के विद्वान व्यक्ति को इस विश्वविद्यालय का कुलपति का बागड़ोर सौंपा जाय। कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया में हो रहे विलंब के कारण एक ओर विश्वविद्यालय का सामान्य कामकाज प्रभावित हो रहा है, वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय में अराजकता और भ्रष्टाचार दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है। शिक्षक संघ ने माननीय शिक्षा मंत्रीजी से इस बाबत ख़ास तौर पर अनुरोध किया है कि वे गांधी जी के कर्मस्थली में स्थित इस केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्ति के संदर्भ में संभावित उम्मीदवारों के शैक्षणिक और प्रशासनिक अनुभवों के साथ-साथ उनकी चारित्रिक शुचिता पर विशेष ध्यान दें। अगर पूर्व की भांति किसी भ्रष्ट और जालसाज़ कुलपति की यहाँ नियुक्ति होती है, तो यह गांधी जी की इस कर्मभूमि के साथ, यहाँ के शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा। इससे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल में और ज्यादा गिरावट आएगी। विश्वविद्यालय का शिक्षक संघ चाहता है कि कुलपति पद के तमाम उम्मीदवारों के प्रमाणपत्रों, उन पर लंबित जाँचों और आरोपों की बारीकी से जाँच की जाए।


जिस प्रकार अपनी स्थापना के समय से ही विश्वविद्यालय के तमाम महत्वपूर्ण पदों को खाली रखकर विश्वविद्यालय को पंगु बनाकर रखा गया है, वैसी स्थिति में एक योग्य और दूरदर्शी कुलपति का होना और भी जरूरी है। मंत्री जी के आदेशानुसार यहाँ बड़ी संख्या में खाली रखे गए गैर शैक्षणिक और शैक्षणिक पदों को पारदर्शिता के साथ भरे जाने के लिए भी एक ईमानदार चाल-चरित्र का कुलपति अपेक्षित है। कुलपति और उसके करीबी खासकर डॉ प्रणवीर सिंह, ओएसडी राजीव कुमार, सेक्शन ऑफिसर दिनेश हुड्डा और चाणक्य परिसर प्रांगण निदेशक आनंद प्रकाश जोर शोर से विश्विद्यालय को लूटने  में लगे हैं।  इस जालसाज, चरित्रहीन , रिश्वतखोर कुलपति का विश्विद्यालय में एक दिन भी कुलपति पद पर  बने रखना  विश्विद्यालय को वर्षों पीछे धकेलना है।  कुलपति संजीव शर्मा के फर्जीवाड़े से समूचा बिहार परिचित है जिसके चलते विश्विद्यालय में पिछले सत्र की तरह इस सत्र में भी छात्र नामांकन नहीं ले रहे हैं और अधिकतर विभागों में छात्रों की संख्या दहाई अंकों में भी नहीं पहुंची हैं। संस्कृत विभाग में छात्रों से ज्यादा संख्या तो प्रोफेसर का है।  उम्मीद है कि पिछले दो बार की तरह विश्वविद्यालय को इस बार निराश नहीं किया जाएगा और अति शीघ्र किसी योग्य व्यक्ति को यहाँ का कुलपति पद सौंपा जाए ।

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