कुलपति नियुक्ति से पहले प्रस्तावित नामो का विरोध तेज , राष्ट्रपति को लिखा पत्र


पटना : महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2016 में उत्तरबिहार के मोतिहारी में हुई। इस विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य बिहार की लचर शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ करना था परन्तु अपने स्थापना के साथ ही इस विश्वविद्यालय का नाता विवादों से जुड़ गया। अपनी स्थापना के बाद इस विश्वविद्यालय को दो दो कुलपति मिले लेकिन विश्वविद्यालय के प्रगति को लेकर गम्भीरता और संवेदनशीलता उनमे कभी देखने को नही मिली ऐसा आरोप चम्पारण में सक्रिय छात्र संगठन चंपारण छात्र संघ ने लगाया है।

चुकि दूसरे कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा का कार्यकाल पूरा हो गया है ऐसे में नए कुलपति के नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गयी है। विश्वविद्यालय में नए कुलपति हेतु केंद्र सरकार द्वारा गठित कुलपति चयन समिति द्वारा साक्षात्कार लिया जा चुका है और कुछ दिन में ही नए कुलपति की घोषणा हो जाएगी परन्तु साक्षात्कार के बाद ही चम्पारण छात्र संघ ने दावा किया कि उसको कुलपति के लिए प्रस्तावित नामों की सूची हाथ लगी है जिसमे प्रोफेसर तेजप्रताप सिंह और प्रोफेसर बद्रीनायरण का नाम तेजी से उछल रहा है।

प्रोफेसर बद्रीनायरण और प्रोफेसर तेजप्रताप सिंह


कुलपति के लिए प्रस्तावित नामो की सूची हाथ लगने के बाद चम्पारण छात्र संघ ने जीबी पन्त विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रोफेसर बद्रीनायरण और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तेजप्रताप सिंह का विरोध किया है। कई दिनों तक सोशल मीडिया और जमीनी स्तर पर तेज विरोध करने के बाद चम्पारण छात्र संघ ने विश्वविद्यालय के विजिटर , देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया हैऔऱ इन दोनों प्रोफेसरों के विचारों और उनके कुकृत्यों की शिकायत की है और प्रोफेसर तेजप्रताप सिंह और प्रोफेसर बद्रीनायरण के नाम पर आपत्ति दर्ज कराई है साथ ही पत्र में विश्वविद्यालय के पूर्व और वर्तमान दोनों कुलपतियों के कार्यकालों के विवाद का भी जिक्र किया गया है और राष्ट्रपति महोदय से आग्रह किया है कि विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति चयन हेतु योग्य प्रशासक, अकादमिक अनुभव से परिपूर्ण, दूरदर्शी एवं भारतीय संस्कृति व संविधान में आस्था रखने वाले, विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास एवं उत्तम शैक्षिक वातावरण के निर्माण के लिए दृढ़ संकल्पित एक कर्मयोगी कुलपति की नियुक्ति की जाए।


छात्र संघ के संस्थापक अध्यक्ष विकाश जी ने बताया कि पत्र में राष्ट्रपति महोदय को प्रोफेसर तेजप्रताप सिंह की शिकायत करते हुए लिखा गया है कि अपने शोध परियोजनाओं में नक्सली हमलों एवं बर्बरता को विद्रोह एवं आंदोलन की संज्ञा देते हुए नक्सलियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने का कार्य करते हुए शहीदों का अपमान करने का कार्य किया है साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की कार्रवाई को नक्सलवाद में वृद्धि का कारण बताया है जो बेहद ही शर्मनाक है। साथ ही पत्र में प्रोफेसर बद्रीनायरण की भी शिकायत करते हुए लिखा गया है कि  बद्रीनारायण वही व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने लेखन एवं सार्वजनिक वक्तव्य में बहुसंख्यक नागरिकों के आस्था के केंद्र भगवान राम एवं महाराजा सुहेलदेव तथा महाराणा प्रताप को मिथक की संज्ञा देते हुए इन महानायकों की तुलना फासिस्ट प्रतीकवाद से की है।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय का अस्थाई परिसर


ऐसे में चम्पारण छात्र संघ बतौर कुलपति इनदोनो नामो पर आपत्ति जताकर बतौर कुलपति इनके नाम का विरोध किया है। पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर युवाओं और बुद्धिजीवियों में इनदोनो नामो के खिलाफ छात्रसंघ लोगो को जागरूक कर रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बतौर कुलपति इस विश्वविद्यालय की कमान किसे मिलती है और छात्र संघ की यह लड़ाई कहाँ तक सफल होती है। 

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