व्यवस्था का हाल: अनुमंडलीय अस्पताल छह डॉक्टरों के भरोसे 2. 23 लाख की आबादी

कैसे होगा मरीजों का इलाज, अस्पताल में बंद पड़ा है अल्ट्रासाउंड मशीन, सिटी स्कैन तक नही, सिर्फ सुंदर भवन तक ही सिमट कर रह गया अस्पताल

●    तीन मंजिला अस्पताल में जगह व भवन की कोई कमी नहीं

●    98 बेड में महज 50 बेड पर मिल रहा है मरीज को सुविधा

●    अब भी है 27 चिकित्सक व 29 स्वास्थ्यकर्मी का पद रिक्त

रिपोर्ट: सूरज कुमार राठी


जगदीशपुर (भोजपुर)। स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में स्थानीय जगदीशपुर प्रखंड अब भी जिला मुख्यालय या फिर बिहार की राजधानी पर निर्भर है। 2 लाख 23 हजार से ज्यादा की आबादी वाला स्थानीय प्रखंड में निजी अस्पताल की भी कमी है। जिसके कारण लोग इलाज के लिए यहां से बाहर जाने को विवश है। स्थानीय लोग रेफरल अस्पताल या फिर अनुमंडलीय अस्पताल पर निर्भर हैं। लेकिन अनुमंडलीय अस्पताल भी कई बुनियादी सुविधाओं के अभाव में बेहतर सेवा देने में पीछे रह जाता है। साथ ही, अनुमंडलीय अस्पताल  चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों की कमी से भी जूझ रहा है। मिलाजुला कर तीन मंजिला अस्पताल में जगह व भवन की कोई कमी नहीं है। लिहाजा, स्वास्थ्य सेवा का समुचित लाभ नहीं मिलने से यहां के लोगों में काफी नाराजगी है। वर्ष 2010 में आरा-मोहनिया एनएच थर्टी से सटे दुलौर नदी के समीप अनुमंडलीय अस्पताल के अस्तित्व में आने से यहां के लोगों को समुचित व बेहतर चिकित्सा उपलब्ध होने की आस जगी थी। साथ ही, लोगों के मन में ऐसी उम्मीद जगी थी कि अब नजदीक में उनका बेहतर इलाज होगा व अन्यत्र कही जाकर इलाज कराने की झंझट से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन अस्पताल की स्थिति को देखकर लोगों के आशाओं पर पानी फिरता नजर आ रहा है। यूं कहा जाए तो इस अस्पताल में नाम बड़े व दर्शन छोटे वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। इस बीच राहत की बात है कि अब प्रखंड में संक्रमितों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। लेकिन अप्रैल के अंतिम सप्ताह व मई के पहले सप्ताह में भी मरीजों को लेकर आपाधापी मची हुई थी। कभी मरीज को बेड, ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सहित कई साधन नहीं मिल पा रहा था। लेकिन वर्तमान समय में इन सभी साधन उपलब्ध है।


सुंदर भवन तक ही सिमट कर रह गया है अस्पताल

स्वास्थ्य महकमा की उदासीनता के कारण अनुमंडलीय अस्पताल में न तो सृजीत पदों के अनुरूप चिकित्सक व ना ही स्वास्थ्यकर्मी ही है। सिर्फ अस्पताल सुंदर भवन तक ही सिमट कर रह गया है। फ़िलवक्त 98 बेड वाले इस बड़े अस्पताल में सिर्फ 50 बेड ही कार्यरत है। इस अस्पताल में 33 चिकित्सकों का पद सृजित है। लेकिन वर्तमान में यहां सिर्फ 6 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। वहीं इस अस्पताल में 75 स्वास्थ्य कर्मचारियों का पद सृजित है। लेकिन कुल महिला-पुरुष स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या 46 है। यही कारण है कि प्राथमिक उपचार के बाद यहां से रोगियों को बाहर रेफर कर दिया जाता है। 

अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं

किसी हादसे में हड्डी में फ्रैक्चर हो गया है तो इस अस्पताल से कोई उम्मीद न रखिएगा। आपको सदर अस्पताल या निजी अस्पताल की दरवाजा ही खटखटाना होगा। गौरतलब हो अक्सर हाईवे पर दुर्घटना होता है। इस घटना में जख्मीयो को इलाज के लिए अस्पताल लाया जाता है। लेकिन अनुमंडलीय अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने के कारण जख्मीयों को प्राथमिक उपचार के बाद सदर अस्पताल, आरा रेफर कर दिया जाता है। यही नही नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सक भी नही है। जिसके चलते इन रोगो के मरीजों को बाहर जाना पड़ता है। इधर, टेक्नीशियन के अभाव में अल्ट्रासाउंड मशीन बंद पड़ा  है। लेकिन डिजिटल एक्सरे का कार्य चालू है।

अब तक अस्पताल भवन का रंग रोगन तक नही  

अनुमंडलीय अस्पताल 10 वर्स से ज्यादा बना हुआ हो गया है। लेकिन अभी तक चाहरदीवारी का निर्माण नहीं हुआ। इससे मरीजों के साथ साथ चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना हमेशा बनी रहती है। जबकि सुरक्षा के दृष्टि से इस अस्पताल की चाहरदीवारी का निर्माण काफी पहले हो जाना चाहिए था। यही नहीं जब से इस अस्पताल निíमत हुआ है तब से इसका रंग रोगन तक नही हुआ है। जिससे अस्पताल बदरंग होता जा रहा है। यहां तक कि अस्पताल के भवन पर लिखा हुआ अनुमंडलीय अस्पताल जगदीशपुर का रंग भी धुंधलापन दिख रहा है।

सुविधाओं को बढ़ाने में जुटा अस्पताल प्रशासन

अनुमंडलीय अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने में अस्पताल प्रशासन जुटा है। कोरोना संक्रमित रोग के उपचार के लिए दवाइयां, ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सहित कई साधन जुटाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक, छोटा-बड़ा 50 ऑक्सीजन सिलेंडर, 5 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, तीन एंबुलेंस कार्यरत है। इधर, अस्पताल में तेजी से ऑक्सीजन प्लांट की कार्य चल रहा है। ऑक्सीजन प्लांट के स्थापित होने से लोगों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। ऐसे में सृजीत पदों के अनुरूप चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या बढ़ जाए तो स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में जगदीशपुर प्रखंड आत्मनिर्भर हो सकता है।

क्या कहते हैं? 

अनुमंडलीय अस्पताल में फिलवक्त मरीजों का इलाज बेहतर ढंग से किया जा रहा है। डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी दिन-रात मरीजों की सेवा में लगे हुए। डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी कि कम संख्या को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को पत्र लिखकर अवगत कराएंगे।

मनजी चौधरी, जदयू प्रखंड अध्यक्ष, जगदीशपुर

अनुमंडलीय अस्पताल को खुद की इलाज की जरूरत है। यहां आने के बाद रेफर कर दिया जाता है। इतने बड़े अस्पताल में गिने चुने ही डॉक्टर हैं। महामारी में भी स्वास्थ्य सिस्टम को नहीं सुधार पाई सरकार 

आफताब खान उर्फ भोला खान, राजद प्रखण्ड अध्यक्ष जगदीशपुर

इतने बड़े अस्पताल पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। आज कोरोना महामारी में इलाज के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। इस पर सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

     
नपं प्रभारी मुख्य पार्षद संतोष कुमार यादव, जगदीशपुर
अस्पताल में चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी की कम संख्या है। फिर भी सीमित साधन में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की हर संभव कोशिश की जा रही है। साथ ही, अधिकारियों को आवश्यक संसाधनों से अवगत कराया गया व अस्पताल में व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

डॉक्टर विनोद प्रताप सिंह, प्रभारी उपाधीक्षक अनुमंडलीय अस्पताल जगदीशपुर

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