हड़ताल के दौरान प्रिंसिपल को बंधक बनाने वाले 9 जूनियर डॉक्टर निष्कासित


पटना. आयुर्वेदिक कॉलेज में कोविड प्रोत्साहन राशि की मांग कर रहे जूनियर डॉक्टरों को कॉलेज प्रशासन का अनोखे ढंग से विरोध करना काफी महंगा पड़ गया. लगातार 4 दिनों से ओपीडी सेवा बाधित कर कॉलेज गेट में ताला जड़ प्राचार्य को बंधक बनाए जाने के मामले में कॉलेज प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है. पूरे मामले में जांच कमिटी की रिपोर्ट आते ही कॉलेज के 9 पीजी छात्रों को निष्कासित कर दिया गया है.

निष्कासित जूनियर डॉक्टरों में रोग निदान विभाग की डॉ अर्चना कुमारी राय, रसायनशास्त्र के डॉ धनंजय कुमार, शरीर रचना के डॉ रूपेश कुमार सिंह, शालाक्य तंत्र के डॉ संतोष कुमार राय, अगदतंत्र के डॉ अजय कुमार, रसशास्त्र के डॉ मुकेश कुमार, शालाक्य के डॉ धर्मेंद्र प्रसाद, मौलिक सिद्धांत के डॉ कुमार भास्कर अगद तंत्र के डॉ अभिजीत सावंत हैं जिनको अगले 6 माह के लिए निष्कासित कर दिया गया है. अब कार्रवाई के बाद ये सभी 6 महीने तक ना तो क्लास कर सकते हैं और ना ही परीक्षा में भाग ले सकते हैं.


इन्हें इस दौरान कोई सुविधा भी प्रदान नहीं की जाएगी. कॉलेज प्रशासन ने नोटिस जारी कर दिया है कि 6 माह तक सभी निष्कासित छात्र कॉलेज कैम्पस में नजर नहीं आने चाहिए जिसको लेकर सभी विभागाध्यक्षों को भी निर्देश दिया गया है. सभी 2020-22 सत्र के एमडी और एमएस के छात्र हैं. छात्रों ने 24 फरवरी से कार्य बहिष्कार कर कॉलेज कैम्पस में ही आंदोलन शुरू किया था और इस दौरान ओपीडी भी बाधित रहा.

छात्रों का आरोप है कि प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद जान बूझकर छात्रों की प्रोत्साहन राशि को इश्यू नहीं कर रहे थे जबकि बाकि मेडिकल कॉलेजों में कोविड काल मे ड्यूटी करनेवालों को प्रोत्साहन राशि दी गई. इधर आंदोलन कर रहे छात्रों ने प्राचार्य ने कभी वार्ता की भी पहल नहीं कि जिसके बाद सभी ने गेट बन्दकर विरोध शुरू किया था फिर प्राचार्य की सूचना पर पहुंची पुलिस और मजिस्ट्रेट ने गेट का ताला खोला. कार्रवाई के बाद छात्रों का आक्रोश सातवें आसमान पर है और छात्र अब पूरे मामले पर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ कोर्ट जाने की चेतावनी दे रहे हैं.

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