अमरदीप नारायण प्रसाद
"कोई भूखा न रहें अभियान" 6 के दिन अनवरत जारी
घोषणा से भूखों का पेट नहीं भरता साहेब- उजमा
कोरोना से बचाव को लेकर सरकार द्वारा जारी लाकडाउन से काम नहीं मिलने से हजारों दिहाड़ी परिवार भूखे मरने की स्थिति में हैं.
दो जून की रोटी के लिए वे दरबदर की ठोकरें खा रहें हैं. उनमें से कई आधे पेट तो कई भूखे सोने को मजबूर है. सरकारी घोषणा अमल में आते- आते महिनों लग जाए तो कोई अचरज नहीं. ऐसी स्थिति में जनता ने अपने वोट देकर बतौर सुखदुख के साथी जनप्रतिनिधियों मसलन एमपी, एमएलए आदि को चुना लेकिन दुख की इस घड़ी में पीड़ित जनता के बीच आने के बजाए आज तमाम जनप्रतिनिधि खोजे भी क्षेत्र में नहीं दिखते. जनता अपने रहमोकरम पर है. वैसी स्थिति में आज कुछ गुमनाम सामाजिक कार्यकर्ता भूखों के मसीहा के रूप में उनके बीच टीके हैं. सामाजिक सहयोग से प्राप्त सामग्री ईकट्ठा कर उसे भोजन तैयार कराकर प्रतिदिन हजारों लोगों को भोजन कराते हैं. उन्हीं में से एक है धरमपुर निवासी खालीद अनवर की टीम. प्रो० सैफुल्लाह सैफ, नाजमी, सादिया जैनब,सनोवर परवीन, शबनम, उजमा रहीम, में सरफुद्दीन, मो० तनवीर, डा० महबूब आदि उनके टीम मेंबर हैं. ये टीम एक सप्ताह से "कोई भूखा न रहे अभियान" के तहत चिन्हित दलित- गरीब- दिहाड़ी मजदूर की बस्ती में घूम- घूम कर तैयार किया हुआ भोजन पहुंचाती है. अन्य दिन की भातिं शुक्रवार को भी शहर के पश्चिम-उत्तर धरमपुर के जलेबियां मोर, बांध किनारे की झुग्गी बस्ती, गदा पुल, चकनुर पुल, पूसाफार्म रोड, अलीनगर आदि जगहों के परिवारों के बीच ये टीम भोजन वितरित किया.
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उक्त जानकारी देते हुए सामाजिक सह राजनीतिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि दिहाड़ी मजदूर, दलित, गरीब, रिक्शा- ठेला चालक, विधवा- विकलांग- वृद्धा आदि की स्थिति का फी दयनीय हैं. अनेकों परिवार के पास राशनकार्ड नहीं है. अनेकों परिवारों को पाश मशीन आने के बाद राशन मिलना बंद हो गया है. वैसे परिवारों के लिए यह भोजन डूबते को तिनके का सहारा के समान है. उन्होंने अन्य दलों, संगठनों आदि से भी अपील किया कि वे भी पीड़ित मानवता की सेवा को मैदान में उतरे.
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