पटना: बिहार में विपक्ष के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लगातार दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों-कामगारों को वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं. अब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री पर एक बार फिर निशाना साधा है. साथ ही तेजस्वी ने बिहार सरकार को असंवेदनशील, निकम्मी और क्रूर बताते हुए शारीरिक दूरी बनाते हुए अनशन के जरिए विरोध करने का ऐलान किया है.
तेजस्वी ने ट्वीट में कहा, "असंवेदनशील, निकम्मी और क्रूर बिहार सरकार की प्रशासनिक विफलता के कारण 25 लाख अप्रवासी बिहारीवासी बाहर फंसे है. 35 दिन बाद भी उन्हें वापस बुलाने की कोई समग्र योजना और वैकल्पिक उपाय नहीं है. इस गूंगी, अंधी और बहरी सरकार का मुंह, आंख और कान खोलने के लिए हम सांकेतिक विरोध-प्रदर्शन करेंगे."
तेजस्वी ने एक दूसरे ट्वीट में कहा, बिहार में मजदूरों के प्रति अमानवीय नीतियों, गरीबों के राशन कार्ड और राशन वितरण में हो रही धांधलियों के खिलाफ 1 मई (अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस) पर अपने-अपने घरों से सांकेतिक अनशन और सुबह 10 से 12 बजे तक शारीरिक दूरी बनाते हुए अनशन के जरिए विरोध किया जाएगा.
"अप्रवासी मजबूर मजदूर वर्ग से बेरुखी भरा व्यवहार क्यों"
इससे पहले तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर पूछा था, "बिहार सरकार आखिरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं? अप्रवासी मजबूर मजदूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुखी भरा व्यवहार क्यों है? विगत कई दिनों से देशभर में फंसे हमारे बिहारी अप्रवासी भाई और छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा कि सरकार के कानों तक जूं भी नहीं रेंग रही. आखिर उनके प्रति असंवेदनशीलता क्यों है?"
तेजस्वी ने पत्र में गुजरात और उत्तर प्रदेश की सरकारों की तारीफ करते हुए लिखा, "गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्य सरकारें जहां अपने राज्यवासियों के लिए चिंतित दिखी और राज्य के बाहर फंसे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम किया, वहीं बिहार सरकार ने अपने बाहर फंसे राज्यवासियों को बीच मझधार में बेसहारा छोड़ दिया है."
तेजस्वी ने ट्वीट में कहा, "असंवेदनशील, निकम्मी और क्रूर बिहार सरकार की प्रशासनिक विफलता के कारण 25 लाख अप्रवासी बिहारीवासी बाहर फंसे है. 35 दिन बाद भी उन्हें वापस बुलाने की कोई समग्र योजना और वैकल्पिक उपाय नहीं है. इस गूंगी, अंधी और बहरी सरकार का मुंह, आंख और कान खोलने के लिए हम सांकेतिक विरोध-प्रदर्शन करेंगे."
तेजस्वी ने एक दूसरे ट्वीट में कहा, बिहार में मजदूरों के प्रति अमानवीय नीतियों, गरीबों के राशन कार्ड और राशन वितरण में हो रही धांधलियों के खिलाफ 1 मई (अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस) पर अपने-अपने घरों से सांकेतिक अनशन और सुबह 10 से 12 बजे तक शारीरिक दूरी बनाते हुए अनशन के जरिए विरोध किया जाएगा.
राजद द्वारा बिहार सरकार की मज़दूरों के प्रति अमानवीय नीतियों,ग़रीबों के राशन कार्ड एवं राशन वितरण में हो रही धाँधलियों के विरुद्ध 1 मई,अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर अपने-अपने घरों से सांकेतिक उपवास और सुबह 10 से 12 बजे तक शारीरिक दूरी बनाते हुए अनशन के ज़रिए विरोध प्रकट किया जाएगा
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"अप्रवासी मजबूर मजदूर वर्ग से बेरुखी भरा व्यवहार क्यों"
इससे पहले तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर पूछा था, "बिहार सरकार आखिरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं? अप्रवासी मजबूर मजदूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुखी भरा व्यवहार क्यों है? विगत कई दिनों से देशभर में फंसे हमारे बिहारी अप्रवासी भाई और छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा कि सरकार के कानों तक जूं भी नहीं रेंग रही. आखिर उनके प्रति असंवेदनशीलता क्यों है?"
तेजस्वी ने पत्र में गुजरात और उत्तर प्रदेश की सरकारों की तारीफ करते हुए लिखा, "गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्य सरकारें जहां अपने राज्यवासियों के लिए चिंतित दिखी और राज्य के बाहर फंसे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम किया, वहीं बिहार सरकार ने अपने बाहर फंसे राज्यवासियों को बीच मझधार में बेसहारा छोड़ दिया है."
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