मुखिया चारपाई पर, लॉक डाउन में दाने-दाने को मोहताज हुआ परिवार।



रिपोर्ट-संजय सुमन केशरी।

गया-बाराचट्टी कैंसर एक ऐसी बीमारी जो इंसान को अंदर से तोड़ देती है.उसके और उसके परिवार के लिए यह यकीनन एक बेहद डरावने सपने की तरह आती है,जिसमे न तो सिर्फ पैसे बल्कि मनोबल भी खर्च होता है।किसी परिवार में यदि किसी मुखिया को कैंसर हो जाय तो उस  परिवार को बदकिस्मत का मारा कहा जाता है।

ऐसी ही एक घटना बाराचट्टी प्रखंड के सरवां बाजार के चंदन मालाकार है।परिवार की गृहस्थी हंसी-खुशी बीत रही थी।  फूल माला की दुकान का काम करके अपने परिवार के 6 सदस्य का पालन पोषण कर रहा था। पिता की मृत्यु 6 महीने पहले एक सड़क दुर्घटना में हो गया था।उसके बाद चंदन मालाकार उम्र 41 वर्ष की भी तबियत खराब रहने लगा जाँच में पता चला कि उसे कैंसर हो गया है। उसकी जिंदगी चारपाई तक ही सिमट कर रह गई। चलना-फिरना तो दूर की बात नित्य क्रिया भी करना मुश्किल हो गई। कमाने वाला नहीं होने की वजह से परिवार दाने-दाने का मोहताज हो गया है।
चंदन कुमार को शुरूआत में इलाज के लिए कई अस्पतालों में लेकर गए। जिससे जमा पूंजी भी इलाज में खर्च हो गई। रिश्तेदारों से उधार लेकर भी इलाज करवाया गया लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। बडे़ अस्पतालों में इलाज कराने के लिए परिवार के पास रुपए नहीं है।इसी क्रम में भारत मे कोरोना वायरस की बजह से देश के प्रधानमंत्री ने लॉक डाउन की घोषणा कर दिए।
अब लाचार होकर चंदन कुमार उसका परिवार मदद के लिए दरवाजे पर टक-टकी लगाए देखते रहते है कि कहीं कोई भगवान बनकर आए।इसकी जानकारी जब लोजपा नेत्री रीता गहलोत को हुआ तत्काल उसने बाराचट्टी प्रखंड अध्यक्ष को फोन कर 2000 रुपये नगद 1 बोरा गेहूं, छोटे बच्चों  के लिए दूध का डिब्बा,तेल,सर्फ,साबुन,प्याज,
दाल,नमक,मिर्च पावडर,हल्दी एवं अन्य खाद्य सामग्री उपलब्ध कराया गया।परिवार के सदस्यों का कहना है कि नेता चुनाव में तो वोटों के लिए घर पर आते है लेकिन अब मुसीबत के समय में विधायक,सांसद तक किसी ने सुध नहीं ली है।

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