नई दिल्ली। एक तरफ लोगों को कोरोनावायरस का खौफ सता रहा है वहीं दूसरी ओर उन्हे महंगाई से भी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। जहां एक ओर शनिवार को पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि की गई थी, वहीं शनिवार शाम को मोबाइल फोन और विशिष्ट भागों पर जीएसटी दर को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
अब मोबाइल पर 12% जीएसटी की जगह 18% कर दिया गया है। शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक आयोजित की गई, जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए है। वहीं बैठक में हाथ से निर्मित और मशीन से निर्मित दोनों वस्तुओं पर 12% जीएसटी लगेगा। इससे पहले हाथ से निर्मित माचिस पर 5 % की जगह 12% जीएसटी लगेगा। वहीं पहले मशीन से निर्मित अन्य पर 18 पर्सेंट का टैक्स लगता था।
वहीं विमानों के संबंध में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सेवाओं पर जीएसटी दर को कम करने का फैसला लिया गया है। पहले ये 18 प्रतिशत था जो अब घटकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। जीएसटी काउंसिल के इस फैसले का सीधा उद्देश्य MRO सर्विस को बढ़ावा देना है।
वहीं करतदाओं को राहत देते हुए 2 करोड़ रुपये से कम कुल कारोबार वाले करदाताओं को 2017-18 और 2018-19 के वार्षिक रिटर्न के लिए लेट फीस नहीं देनी होगी।
वहीं वार्षिक रिटर्न दाखिल करने और वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सुलह बयान के लिए नियत तारीख को 30 जून 2020 तक बढ़ाया जा सकता है।
अब मोबाइल पर 12% जीएसटी की जगह 18% कर दिया गया है। शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक आयोजित की गई, जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए है। वहीं बैठक में हाथ से निर्मित और मशीन से निर्मित दोनों वस्तुओं पर 12% जीएसटी लगेगा। इससे पहले हाथ से निर्मित माचिस पर 5 % की जगह 12% जीएसटी लगेगा। वहीं पहले मशीन से निर्मित अन्य पर 18 पर्सेंट का टैक्स लगता था।
वहीं विमानों के संबंध में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सेवाओं पर जीएसटी दर को कम करने का फैसला लिया गया है। पहले ये 18 प्रतिशत था जो अब घटकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। जीएसटी काउंसिल के इस फैसले का सीधा उद्देश्य MRO सर्विस को बढ़ावा देना है।
वहीं करतदाओं को राहत देते हुए 2 करोड़ रुपये से कम कुल कारोबार वाले करदाताओं को 2017-18 और 2018-19 के वार्षिक रिटर्न के लिए लेट फीस नहीं देनी होगी।
वहीं वार्षिक रिटर्न दाखिल करने और वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सुलह बयान के लिए नियत तारीख को 30 जून 2020 तक बढ़ाया जा सकता है।
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