PATNA : ऐतिहासिक गांधी मैदान में संविधान बचाओ-नागरिकता बचाओ महारैली में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। खचाखच भरे गांधी मैदान में मंच पर मौजूद तुषार गांधी, मेधा पाटकर, आइशी घोष, अलका लांबा, कन्नन गोपीनाथन जैसे दिग्गजों की मौजूदगी में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से सीएए, एनपीआर और एनआरसी वापस लेने की मांग की गई। साथ ही लोगों से यह भी आहवान किया गया कि आप बिहार की सरकार बदलिए, यूपी की सरकार हम बदलेंगे और केंद्र की सरकार इस देश की जनता बदल देगी। एक छोटे बच्चे से भी नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद के नारे भी लगवाए गए।
कन्हैया ने मंच पर पहुंचते ही राष्ट्रगान के बाद दिल्ली हिंसा में मारे गए लोगों को श्रद्धाजंलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने लोगों को सैल्यूट और प्रणाम किया। इस दौरान कन्हैया की मौजूदगी में माले विधायक महबूब अली और पटना विश्वविद्यालय के एआइएसएफ से जुड़े छात्र मनीष कुमार ने विवादित बयान भी दिया। जहां महबूब अली ने पीएम को अपनी मां के जन्म का सर्टिफिकेट दिखाने को कहा तो वहीं मनीष ने कहा कि सीएए, एनपीआर का समर्थन कर रहे लोगों को गोली मार देनी चाहिए।
सभा को संबोधित करते हुए तुषार गांधी ने कहा कि 12 मार्च से दांडी यात्रा शुरू करेंगे। हम आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहे हैं। ये लड़ाई सिर्फ सीएए, एनपीआर और एनआरसी को वापस लेने तक नहीं, बल्कि तब तक चलेगी जब तक मुल्क के जेहन में जहर डालने वाले को खत्म नहीं कर देते। मेधा पाटकर ने तो कन्हैया को देश का उभरता हुआ नेता बताया।
कन्हैया ने अपने संबोधन में सबसे पहले यात्रा में शामिल लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह रैली कन्हैया की नहीं बल्कि तमाम उनलोगों की है जो सीएए और एनआरसी जैसे काले कानून के खिलाफ लड़ रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जब देश बचेगा तभी ना चुनाव होगा। कन्हैया ने दिल्ली के हालात पर दुख जताते हुए कहा कि तीन दिनों से सो नहीं पा रहा। आखिर देश को किस दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार सीएए और एनपीआर के बहाने कन्हैया और कामरान को लड़ाना चाह रही है और कुछ हद तक वह अपने मकसद में कामयाब भी होती दिख रही है, लेकिन हमें सतर्क रहना है।
उसकी चालाकी का जवाब हमें उसी अंदाज में देना है। सरकार हमें आपस में लड़ाना चाहती है। शाहीनबाग के आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है। आज गांधी जिंदाबाद करने वाले लोगों को देशद्रोही और गोडसे जिंदाबाद करनेवाले को संसद में बैठाया जा रहा है।
आज देश का युवा बेरोजगार हो रहा है और अमित शाह अपने बेटे को बीसीसीसीआई का सेक्रेट्री बना रहे। अंग्रेजों ने साजिश के तहत देश का बंटवारा किया। इस देश में जो मुसलमान रहे वे जिन्ना के साथ नहीं गए, बल्कि गांधी के साथ रहे। आज ब़ड़ी चालाकी से गांधी जिंदाबाद कहनेवालों को देशद्रोही कहा जा रहा है। खुलेआम देश के भीतर लोगों के संवैधानिक अधिकार छीने जा रहे हैं। लेकिन, हमे उन्हें संदेश देना है कि आप हमें नफरत से डरा नहीं सकते। आज अंबेडकर की समानता और गांधी की महानता की जरूरत है। कपिल मिश्रा पर देशद्रोह का मुकदमा नहीं हुआ, लेकिन कोई सच बोलेगा तो उसपर देशद्रोह का मुकदमा कर दिया जाएगा। हमें आपकी बेमानी से आज़ादी चाहिए।
आज एक तरफ भगत सिंह और अंबेडकर को मामने वाले हैं तो दूसरी ओर गोडसे को माननेवाले लोग हैं। इन लोगों ने एक ऐसी टीम बना रखी है जो गोयबल्स को भी फेल कर रहा है। इनकी आइटी टीम मोबाइल का इस्तेमाल कर कन्हैया और कामरान को लड़ा रही है। हमें सिर्फ इसपर अडिग रहना है कि एनपीआर भी वापस होने तक हमें आंदोलन जारी रखन ाहै। बिहार मांगे रोजगार, नहीं चाहिए एनपीआर। एनपीआर का गजट नोटिफिकेशन वापस नहीं हुआ है। हमें किसी सरकार से कोई उम्मीद नहीं है।
कन्हैया ने लोगों से अपील की कि अपने-अपने पंचायतों से एनपीआर के खिलाफ रिजुलेशन पास करवाइए कि पंचायतों में नहीं लागू होने देंगे एनपीआर। हम जन गण मन यात्रा पर किसी को नेता बनाने के लिए नहीं, बल्कि जनता और गणतंत्र को बचाने के लिए निकले थे। दिल्ली में मारे गए लोग बिहार और यूपी के विस्थापित लोग थे। इस दौरान कन्हैया ने गृहमंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा और कहा कि कहा हम डरने वाले नहीं हैं। रविशंकर पर भी साधा निशाना और कहा कि आपके बेटे ऑक्सफोर्ड मे पढते हैं। हमारा भाई मगध युनिवर्सिटी और वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं जहां रिजल्ट पांच साल में निकलता है। इस पर आपको शर्म आनी चाहिए।
कन्हैया इतने पर ही नहीं रूके, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को ट्रंप का तलवा चाटनेवाला तक कह डाला। कन्हैया ने कहा कि एक तरफ गांधी को मानने वाले लोग हैं तो दूसरी तरफ ट्रंप जा तलवा चाटने वाले। कन्हैया ने केंद्र की नीतियो ंपर भी हमला बोला और कहा कि केंद्र सरकार बैंकों को बेचना चाहती है। सबकुछ का निजीकरण करना चाह रही है, इससे बैंक भी अछूते नहीं हैं। देश को अब तय करना है कि वह गांधी के साथ चलेगा या गोडसे के साथ। बिहार में धर्म की राजनीति नहीं चलेगी। इस दौरान कन्हैया ने विधानसभा में एनआरसी और एनपीआर पर प्रस्ताव पारित होने पर सरकार और विपक्ष दोनों को धन्यवाद दिया और कहा कि यह आंदोलन की जीत है।
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