तय हो गयी दिल्ली में चुनाव की तारीख, बिहार की राजनीति पर भी होगा बड़ा असर, जानिए

पटना । देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीख का एेेलान आज हो गया है। चुनाव आयोग ने सोमवार की दोपहर के बाद प्रेस काॉन्फ्रेंस कर तारीखों का एेलान किया। आठ फरवरी को दिल्ली में चुनाव होंगे और 11 फरवरी को परिणाम घोषित किए जाएंगे। चुनाव दिल्ली में होंगे, लेकिन इसका बड़ा असर बिहार की राजनीति में भी देखने को मिलेगा।

इस बार के चुनाव में बिहार की दो प्रमुख पार्टियां मैदान में होंगी, जिसमें राजद इसबार पहली बार मैदान में उतरा है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल भी इस बार अपने प्रत्याशी उतारेगा। दिल्ली की 70 में से कितनी सीटों पर राजद चुनाव लड़ेगा? इसका फैसला अभी नहीं हुआ है।

इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री और JDU प्रमुख नीतीश कुमार ने ऐलान किया था कि पार्टी दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली और झारखंड में जदयू अकेले चुनाव लड़ेगी। बीजेपी से इसे टकराव न समझा जाए क्योंकि बीजेपी से इन राज्यों में हमारा गठबंधन नहीं है।

जनता दल यूनाइटेड के बाद अब जहां राजद ने भी दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर लड़ने का एेलान कर दिया है तो इससे दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की भी मुश्किलें बढ़ेंगी।

इसकी बड़ी वजह है कि बिहार के ये दोनों बड़े दल दिल्ली में रह रहे पूर्वांचल और बिहार के वोटरों के सहारे चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं। तो जाहिर है कि दोनों के कारण वोटों को बंटवारा भी होगा।

बता दें कि पूर्वांचल और बिहार के वोटर्स दिल्ली की 70 में 22 से अधिक विधानसभा सीटों पर सीधे असर डालते हैं। पूर्वांचल और बिहार के वोटर्स जिस दल को वोट करेंगे वह न केवल जीतता है, बल्कि वह सरकार बनाने तक में कामयाब हो जाता है।

दरअसल, दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी पूर्वांचल और बिहार के वोटर्स के मद्देनजर पहले ही मनोज तिवारी को दिल्ली का भाजपा अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेल चुकी हैं। ऐसे में जाहिर है राजद और जदयू के प्रत्याशियों की दिल्ली विधानसभा चुनाव में एंट्री से भाजपा को भी कुछ हद नुकसान होगा।

बताया जाता है कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने में पूर्वांचल और बिहार के वोटर्स का बड़ा योगदान था। यह वजह थी कि दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीत कर आम आदमी पार्टी ने न केवल एक नया इतिहास रचा,बल्कि सरकार भी बनाई।

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