बिहार/ वैशाली /हाजीपुर
सत्येन्द्र कुमार शर्मा/पन्नालाल कुमार
बिहार(6सितम्बर2018)|
नियोजित शिक्षकों को मानसिक रूप से कमजोर, बीमार व परेशान कर रही है केन्द्र और राज्य सरकार |
उक्त बातें ई. राजकुमार पासवान पूर्व प्रत्याशी हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र ने कही |उन्होंने कहा कि
बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों को बिहार सरकार और केंद्र सरकार के द्वारा किया जा रहा है मानसिक रूप बिमार.....
पहले नीतीश सरकार सौतेलापन व्यवहार किया और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार के नियोजित शिक्षकों का समान काम का समान वेतन देने से रोका हैं ये बहुत ही दु:खद है और चार लाख शिक्षकों के भविष्य से खेलबार करने जैसा फैसला है| आज देश में और खासकर बिहार में शिक्षा व्यवस्था ठीक न होना और दिन प्रतिदिन चरमराता जा रहा है| जिशका मुख्य रूप से दोशी पहले लालू प्रसाद यादव और अब नीतीश-मोदी सरकार ये साफ- साफ दिखाई पड़ रहा है कि इसमें बिहार सरकार और केंद्र सरकार की मिली भगत हैं क्योंकि बिहार में नीतीश - मोदी सरकार और केंद्र में भाजपा सरकार |केंद्र में नरेंद्र दामोदर भाई मोदी यानी की सरकार है और बिहार में भाजपा - नीतीश गठबंधन की सरकार होने के बावजूद भी बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों क्यों किया जा रहा है निराश???
मेरा मानना है कि शिक्षकों की लड़ाई एक दम जायज है जो कि उस संवैधानिक अधिकार को छिन रही नीतीश और भाजपा सरकार!
जबकि भारत के संविधान अनुच्छेद 14 और 36(D) में ये कहा गया है कि अनुच्छेद - 14 में समानता का अधिकार और अनुच्छेद - 36(D) में समान काम का समान वेतन देने की बात कही गई है फिर भी सरकारें 4 लाख नियोजित शिक्षकों के साथ कर रही है सौतेलापन व्यवहार आखिर ये जोर जुल्म कबतक सरकार के द्वारा चलता रहेगा!!!
सत्येन्द्र कुमार शर्मा/पन्नालाल कुमार
बिहार(6सितम्बर2018)|
नियोजित शिक्षकों को मानसिक रूप से कमजोर, बीमार व परेशान कर रही है केन्द्र और राज्य सरकार |
उक्त बातें ई. राजकुमार पासवान पूर्व प्रत्याशी हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र ने कही |उन्होंने कहा कि
बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों को बिहार सरकार और केंद्र सरकार के द्वारा किया जा रहा है मानसिक रूप बिमार.....
पहले नीतीश सरकार सौतेलापन व्यवहार किया और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार के नियोजित शिक्षकों का समान काम का समान वेतन देने से रोका हैं ये बहुत ही दु:खद है और चार लाख शिक्षकों के भविष्य से खेलबार करने जैसा फैसला है| आज देश में और खासकर बिहार में शिक्षा व्यवस्था ठीक न होना और दिन प्रतिदिन चरमराता जा रहा है| जिशका मुख्य रूप से दोशी पहले लालू प्रसाद यादव और अब नीतीश-मोदी सरकार ये साफ- साफ दिखाई पड़ रहा है कि इसमें बिहार सरकार और केंद्र सरकार की मिली भगत हैं क्योंकि बिहार में नीतीश - मोदी सरकार और केंद्र में भाजपा सरकार |केंद्र में नरेंद्र दामोदर भाई मोदी यानी की सरकार है और बिहार में भाजपा - नीतीश गठबंधन की सरकार होने के बावजूद भी बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों क्यों किया जा रहा है निराश???
मेरा मानना है कि शिक्षकों की लड़ाई एक दम जायज है जो कि उस संवैधानिक अधिकार को छिन रही नीतीश और भाजपा सरकार!
जबकि भारत के संविधान अनुच्छेद 14 और 36(D) में ये कहा गया है कि अनुच्छेद - 14 में समानता का अधिकार और अनुच्छेद - 36(D) में समान काम का समान वेतन देने की बात कही गई है फिर भी सरकारें 4 लाख नियोजित शिक्षकों के साथ कर रही है सौतेलापन व्यवहार आखिर ये जोर जुल्म कबतक सरकार के द्वारा चलता रहेगा!!!
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